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| Last Updated:: 24/08/2018

Ground water level data

 प्रदेश में भूजल संसाधनों का परिदृश्य

सौभाग्य से उत्तर प्रदेश का अधिकांश क्षेत्र ‘गंगा-यमुना‘ नदियों के मैदानी भूभाग के अन्तर्गत आता है, जो विश्व में भूजल के धनी भण्डारों में से एक है। विगत वर्षों में इस राज्य में जल की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भूगर्भ जल संसाधनों पर निर्भरता अत्यधिक बढ़ी है। विशेष रूप से सिंचाई, पेयजल, औद्योगिक क्षेत्रों में इसका अनियोजित एवं अनियंत्रित दोहन किये जाने तथा इस सम्पदा के प्रभावी प्रबन्धन एवं नियोजन की वर्तमान में कोई समेकित व्यवस्था न होने से यह संसाधन, उपलब्धता एवं गुणवत्ता की दृष्टि से गम्भीर स्थिति में पहुँचता जा रहा है। राज्य के कई भागों, शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में, भूगर्भ जल स्रोतों की उपलब्धता में चिन्ताजनक स्तर तक कमी आ गयी है।

 

परिदृश्य

·         उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है, जहाँ भूगर्भ जल सम्पदा ने प्रमुख सिंचाई साधन के रूप में एक विशिष्ट स्थान बना लिया है।

·         इसका आकलन इस तथ्य से होता है कि प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत सिंचित कृषि मुख्य रूप से भूगर्भ जल संसाधनों पर निर्भर है।

·         पेयजल की 80 प्रतिशत तथा औद्योगिक सेक्टर की 85 प्रतिशत आवश्यकताओं की पूर्ति भी भूगर्भ जल से ही होती है।

·         भूजल स्रोतों पर बढ़ती निर्भरता का आकलन इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2000 में प्रदेश में भूजल विकास/दोहन की दर 54.31 प्रतिशत एवं वर्ष 2009 में 72.16 प्रतिशत, वर्ष 2011 में 73.65% आंकी गयी तथा वर्ष 2013 में 73.78 प्रतिशत हो गई है।

·         लघु सिंचाई सेक्टर में 48 लाख उथले नलकूप, 49480 मध्यम नलकूप व 33510 गहरे नलकूप तथा 30917 राजकीय नलकूपों से बडे़ पैमाने पर भूजल का दोहन हो रहा है।

·         पेयजल योजनाओं के अन्तर्गत 630 शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 5200 मिलियन लीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रों मंे प्रतिदिन लगभग 7800 मिलियन लीटर से अधिक भूजल का दोहन किया जा रहा है।

·         परिणामस्वरूप, प्रदेश के अनेक ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अतिदोहन की स्थिति उत्पन्न हो गयी है और यह प्राकृतिक संसाधन अनियंत्रित दोहन के साथ-साथ प्रदूषण व पारिस्थितिकीय असंतुलन के कारण गम्भीर संकट में है।

 

Source:  भूगर्भ जल विभाग GROUND WATER LEVEL DATA